पुरानी पेंशन योजना की वापसी तय! सरकार ने लिया ऐतिहासिक फैसला – OPS Scheme

By Olivia Robinson

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OPS Scheme – भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन एक बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय रहा है। साल 2004 में जब केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना यानी Old Pension Scheme (OPS) को बंद कर नई पेंशन योजना (NPS – New Pension Scheme) लागू की, तो इस फैसले ने लाखों कर्मचारियों की भविष्य की आर्थिक सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया। तब से अब तक कई राज्यों में और देशभर में इस फैसले के विरोध में लगातार आंदोलन होते रहे हैं।

अब जब खबरें आ रही हैं कि केंद्र सरकार दोबारा OPS को लागू करने पर विचार कर रही है, तो सरकारी नौकरी करने वाले लाखों कर्मचारियों की उम्मीदें फिर से जाग गई हैं। आइए जानते हैं आखिर पुरानी पेंशन योजना क्या थी, नई योजना से कैसे अलग है और सरकार की ओर से क्या बड़ी पहल की जा रही है।

क्या है पुरानी पेंशन योजना (OPS)?

पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में जीवन भर मिलता था। इसमें कर्मचारी को कोई योगदान नहीं देना होता था और सरकार पूरी पेंशन की जिम्मेदारी उठाती थी। ये एक निश्चित लाभ वाली योजना थी, यानी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली रकम पहले से तय होती थी।

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नई पेंशन योजना (NPS) से क्या फर्क पड़ा?

साल 2004 में लागू की गई नई पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से एक निश्चित हिस्सा कटता है और उतना ही योगदान सरकार देती है। यह पैसा शेयर बाजार और दूसरे निवेशों में लगाया जाता है। जब कर्मचारी रिटायर होता है, तो उसी फंड के हिसाब से उसे पेंशन मिलती है। इस योजना में रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन फिक्स नहीं होती और बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है।

यहीं से कर्मचारियों की परेशानी शुरू होती है क्योंकि उन्हें अपने भविष्य की पेंशन को लेकर कोई ठोस भरोसा नहीं रहता।

कर्मचारी संगठनों का आंदोलन

NPS से नाखुश कर्मचारी संगठनों ने पुरानी योजना की वापसी की मांग को लेकर पिछले कुछ वर्षों में जमकर आंदोलन किए। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, राष्ट्रीय आंदोलन समिति, और अन्य यूनियन ने केंद्र और राज्य सरकारों पर दबाव डाला है। कर्मचारियों का मानना है कि OPS उन्हें अधिक सुरक्षित और सम्मानजनक वृद्धावस्था जीवन देता है।

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कौन से राज्य ला चुके हैं OPS वापस?

अब तक राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और झारखंड जैसे राज्यों ने अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा कर दी है। इन राज्यों में पहले से लागू NPS को बंद कर कर्मचारियों को OPS में शिफ्ट किया जा रहा है।

हालांकि ये एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि नई योजना में अब तक जो पैसा जमा हुआ है, उसे निकालकर पुरानी स्कीम में ट्रांसफर करना आसान नहीं है। इसके लिए फंड मैनेजमेंट और केंद्र की मंजूरी जैसे कई कानूनी और वित्तीय पहलुओं को देखना होता है।

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केंद्र सरकार का नजरिया

केंद्र सरकार ने भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाई है। हाल ही में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था जिसने यह सुझाव दिया है कि OPS की वापसी पर विचार किया जा सकता है। यह रिपोर्ट अब प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय के पास विचाराधीन है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कर्मचारियों के प्रतिनिधियों की बातचीत में इस बात का संकेत मिला है कि केंद्र इस दिशा में गंभीर है। फिलहाल सरकार कोई भी कदम उठाने से पहले समग्र नीति और वित्तीय ढांचे को मजबूत करना चाहती है।

क्या मिलेगा एरियर का भी लाभ?

अगर OPS फिर से लागू होता है तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कर्मचारियों को NPS के तहत जमा पैसे का एरियर मिलेगा? कुछ कर्मचारी संगठन मांग कर रहे हैं कि 18 महीने तक का एरियर दिया जाए, जिससे उनकी मौजूदा आर्थिक स्थिति में राहत मिल सके। हालांकि इस पर कोई पुख्ता घोषणा नहीं हुई है।

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नई भर्ती पर क्या असर?

अगर OPS को दोबारा लागू किया जाता है तो इसका असर भविष्य में सरकारी नौकरी में आने वाले लाखों युवाओं पर भी पड़ेगा। उन्हें भी यह लाभ मिल सकता है। इससे सरकारी नौकरियों की लोकप्रियता और मांग और अधिक बढ़ सकती है क्योंकि पेंशन सुरक्षा एक बड़ा आकर्षण होती है।

सरकार की ओर से पुरानी पेंशन योजना की वापसी को लेकर जो संकेत मिले हैं, वे लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरे हैं। हालांकि यह फैसला वित्तीय रूप से बड़ा है और इसके लिए एक मजबूत रणनीति की जरूरत होगी। लेकिन अगर यह लागू होता है तो यह सरकार की एक बड़ी सामाजिक और आर्थिक पहल मानी जाएगी, जो कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित बनाएगी।

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