पति की जमीन पर पत्नी का हक तय, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला – Wife Property Rights

By Prerna Gupta

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Wife Property Rights – हमारे देश में शादी के बाद पति-पत्नी की ज़िंदगी तो एक हो जाती है, लेकिन जब बात संपत्ति की आती है, तो कई बार मामला पेचीदा हो जाता है। खासकर जब बात पति की खानदानी यानी पुश्तैनी प्रॉपर्टी की हो, तो कई महिलाओं को यह तक नहीं पता होता कि उनका उसमें कोई हक है भी या नहीं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर एक बड़ा फैसला दिया है, जिससे महिलाओं को कानूनी रूप से मजबूती मिली है। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि पत्नी को पति की किस-किस तरह की प्रॉपर्टी में हक मिलता है और क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

1. खानदानी संपत्ति में पत्नी का क्या अधिकार होता है?

खानदानी संपत्ति वह होती है जो पति को उसके पूर्वजों से विरासत में मिली हो। अब सवाल उठता है कि क्या पत्नी का उस पर सीधा हक होता है? जवाब है – नहीं। लेकिन पूरी तरह ना भी नहीं है।

पत्नी को सीधे उस संपत्ति का मालिक नहीं माना जाता, लेकिन पति की हिस्सेदारी पर उसका अधिकार जरूर बनता है। यानी अगर पति का उस पुश्तैनी संपत्ति में कोई हिस्सा है, तो उस हिस्से में पत्नी का भी कानूनी अधिकार है। खासकर अगर पति की मृत्यु हो जाए या दोनों का तलाक हो रहा हो, तब यह अधिकार और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

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2. तलाक या मृत्यु की स्थिति में क्या होता है?

अगर पति की मृत्यु हो जाती है और उसने कोई वसीयत नहीं बनाई है, तो पत्नी को उसकी संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलता है। और अगर पति की वसीयत किसी और के नाम है, तो भी कोर्ट यह देखता है कि पत्नी और बच्चों का अधिकार सुरक्षित है या नहीं।

तलाक के केस में भी, कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि पत्नी को रहने के लिए घर और जरूरी खर्चों का भरण-पोषण मिले। यदि पत्नी के पास कोई दूसरी जगह नहीं है, तो कोर्ट उसे ससुराल के घर में रहने की अनुमति भी दे सकता है।

3. अगर प्रॉपर्टी सिर्फ पति के नाम हो तो?

अगर प्रॉपर्टी पति के नाम से खरीदी गई है और रजिस्ट्री में पत्नी का नाम नहीं है, तो पत्नी का उस पर सीधा हक नहीं बनता। हां, अगर पत्नी ने उस प्रॉपर्टी को खरीदने में पैसा लगाया है, जैसे लोन में मदद की हो या कुछ पेमेंट खुद किया हो, तो वह अपना योगदान साबित करके हिस्सा मांग सकती है।

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लेकिन इसके लिए बैंक स्टेटमेंट, चेक की कॉपी, ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड जैसी चीजें जरूरी हैं। बिना सबूत के कोर्ट में दावा करना मुश्किल हो जाता है।

4. संयुक्त संपत्ति में क्या होता है?

अगर कोई प्रॉपर्टी पति-पत्नी दोनों के नाम है या दोनों ने मिलकर खरीदी है, तो उसे संयुक्त संपत्ति कहा जाता है। ऐसे मामलों में दोनों का बराबरी का हक माना जाता है। अगर बाद में कोई विवाद होता है या तलाक होता है, तो दोनों को उनके योगदान के हिसाब से हिस्सा दिया जाता है।

अगर पत्नी यह साबित कर पाए कि उसने भी आर्थिक रूप से सहयोग किया है, तो कोर्ट उसका दावा जरूर स्वीकार करता है।

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5. दस्तावेज संभालना क्यों है ज़रूरी?

अगर आपने किसी प्रॉपर्टी में पैसा लगाया है या आपके नाम पर कुछ है, तो उसके सभी दस्तावेज अच्छे से संभाल कर रखें। जैसे – रजिस्ट्री पेपर, बैंक स्टेटमेंट, चेक की कॉपी, RTGS या NEFT के स्क्रीनशॉट, सबूत जितने होंगे, आपका केस उतना मजबूत रहेगा।

कई बार लोग सोचते हैं कि सब कुछ पति के भरोसे है, लेकिन अगर बाद में कोई कानूनी पेंच आता है, तो यही डॉक्यूमेंट काम आते हैं।

6. वसीयत और उत्तराधिकार के नियम

अगर पति ने वसीयत बनाई है, तो वह मान्य होती है, लेकिन पत्नी और बच्चों का हित भी कोर्ट देखता है। अगर वसीयत में पत्नी को कुछ नहीं दिया गया है, तब भी पत्नी अदालत में अपनी बात रख सकती है, खासकर अगर वह निर्भर थी।

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यदि वसीयत नहीं है, तो संपत्ति पत्नी, बच्चे, माता-पिता आदि में बराबरी से बंटती है। यह उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Act) के अनुसार तय होता है।

7. प्रैक्टिकल सलाह – महिलाएं क्या करें?

  • संपत्ति खरीदते समय दोनों का नाम रजिस्ट्री में डालें।
  • अपने आर्थिक योगदान के सबूत संभाल कर रखें।
  • किसी भी संदेह या विवाद की स्थिति में वकील से सलाह लें।
  • अपने अधिकारों की जानकारी लें और उन्हें समय पर उपयोग करें।

पति की संपत्ति में पत्नी का हक पूरी तरह से उसके नाम पर न हो, लेकिन कानून उसे पूरी तरह से अनदेखा भी नहीं करता। महिला अगर सजग हो, दस्तावेज संभाले और समय पर कदम उठाए, तो अपने हक की रक्षा आसानी से कर सकती है।

कानून आज के समय में महिलाओं को सुरक्षा और न्याय देने की कोशिश करता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं खुद जागरूक रहें।

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