RBI New Rule – अगर आप भी सोचते हैं कि आपने जो भी पैसा बैंक में जमा किया है, वो सौ फीसदी सुरक्षित है, तो ज़रा रुकिए और इस खबर को ध्यान से पढ़िए। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और सरकार की ओर से 2020 में एक ऐसा नियम लाया गया था, जिसे हर बैंक ग्राहक को जानना चाहिए। इस नियम के मुताबिक, बैंक में जमा केवल ₹5 लाख तक की रकम ही पूरी तरह सुरक्षित मानी जाती है।
अब सोचिए अगर आपके खाते में इससे ज्यादा पैसा है और बैंक किसी कारणवश डूब जाता है या उस पर कोई पाबंदी लग जाती है, तो क्या होगा? जवाब है – आपको ₹5 लाख से ज्यादा की रकम की कोई गारंटी नहीं मिलेगी।
क्या है ये डिपॉजिट इंश्योरेंस स्कीम?
दरअसल, 2020 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख कर दिया था। इसका मतलब है कि अगर बैंक किसी वजह से बंद हो जाता है या दिवालिया घोषित हो जाता है, तो खाताधारक को अधिकतम ₹5 लाख तक की राशि DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) के तहत वापस मिल सकती है।
यह इंश्योरेंस सिर्फ सेविंग अकाउंट पर ही नहीं, बल्कि करंट अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), रेकरिंग डिपॉजिट (RD) जैसे सभी जमा योजनाओं पर लागू होता है। लेकिन एक जरूरी बात जानना जरूरी है कि यह ₹5 लाख की सीमा प्रति व्यक्ति प्रति बैंक पर लागू होती है। यानी अगर आपने एक ही बैंक में दो-तीन अलग-अलग अकाउंट खोल रखे हैं और उन सबमें मिलाकर ₹10 लाख जमा हैं, तो भी आपको अधिकतम ₹5 लाख ही मिलेंगे अगर बैंक डूबता है।
पैसा कब और कैसे मिलेगा?
अगर कोई बैंक डूबता है या उस पर रोक लगाई जाती है, तो खाताधारकों को घबराने की जरूरत नहीं है। अब DICGC के नियमों के मुताबिक 90 दिनों के भीतर (यानि लगभग 3 महीने के अंदर) आपका बीमा कवर यानी ₹5 लाख तक की रकम आपको मिल जाती है।
पहले यह प्रक्रिया लंबी होती थी, लेकिन अब इसे तेज़ और आसान कर दिया गया है ताकि खाताधारकों को ज्यादा परेशान न होना पड़े।
कैसे बचाएं अपनी पूरी जमा पूंजी?
बैंकिंग सिस्टम चाहे जितना भी मजबूत हो, कोई भी रिस्क से पूरी तरह अछूता नहीं होता। अगर आप किसी बड़ी राशि को सिर्फ एक ही बैंक में जमा करके बैठे हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। ₹5 लाख से ज्यादा की राशि को अलग-अलग बैंकों में बांटना ही समझदारी है।
मान लीजिए आपके पास ₹15 लाख हैं, तो आप इन्हें तीन अलग-अलग बैंकों में ₹5-5 लाख करके रख सकते हैं। इससे अगर कोई एक बैंक डूब भी जाए, तो भी बाकियों में जमा आपकी राशि सुरक्षित रहेगी।
FD रखने वालों को भी सावधानी ज़रूरी है
आजकल बहुत से लोग अपनी जमा पूंजी को फिक्स्ड डिपॉजिट में लगाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह एक सुरक्षित और निश्चित रिटर्न देने वाला साधन है। लेकिन अगर आपने एक ही बैंक में ₹5 लाख से ज्यादा की एफडी करवा रखी है, तो ये सोच लेना गलत है कि वो रकम पूरी तरह सुरक्षित है। उस पर भी वही ₹5 लाख की सीमा लागू होती है।
RBI की यह व्यवस्था क्यों जरूरी है?
कई बार कुछ सहकारी बैंक (Co-operative Banks) या छोटे बैंक फाइनेंशियल संकट में आ जाते हैं। ऐसे में सरकार और आरबीआई की जिम्मेदारी होती है कि खाताधारकों को उनके पैसे वापस दिलाए जाएं। इसी वजह से डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा बढ़ाई गई थी।
RBI यह नियम इसलिए लाया ताकि आम लोगों का भरोसा बैंकिंग सिस्टम पर बना रहे, और अगर कोई बैंक अपने कर्ज या कामकाज के कारण बंद हो जाए तो ग्राहकों को कम से कम बुनियादी रकम वापस मिल जाए।
छोटे बैंकों या सहकारी बैंकों में ज्यादा सावधानी बरतें
हाल के वर्षों में कई सहकारी बैंकों पर आरबीआई ने रोक लगाई है। पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) इसका एक बड़ा उदाहरण रहा है। वहां खाताधारकों को अपनी ही जमा राशि निकालने में महीनों लग गए। इसलिए अगर आप किसी छोटे या सहकारी बैंक में पैसा जमा कर रहे हैं, तो डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा और बैंक की साख को जरूर जांचें।
क्या करें अगर आपके पास ₹5 लाख से ज्यादा की राशि है?
- अलग-अलग बैंकों में अकाउंट खोलें
- पोस्ट ऑफिस की योजनाओं जैसे PPF, NSC, KVP आदि में निवेश करें
- सरकारी बॉन्ड और स्कीम्स को प्राथमिकता दें
- म्यूचुअल फंड या शेयर मार्केट जैसे विकल्पों पर रिसर्च करें
- बैंक की क्रेडिट रेटिंग और वित्तीय स्थिति की जानकारी रखें
आज के समय में जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। बैंक में पैसा रखना सुरक्षित माना जाता है, लेकिन ₹5 लाख की सीमा को समझना और उसका हिसाब रखना बेहद जरूरी है। अगर आपके पास इससे अधिक रकम है, तो उसे सुरक्षित रखने के लिए जरूरी कदम उठाएं।