Property Documents – अगर आप कोई प्लॉट, फ्लैट या मकान खरीदने की सोच रहे हैं तो रुकिए और पहले यह जान लीजिए कि आज के समय में प्रॉपर्टी से जुड़ी धोखाधड़ी के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। लोग बिना डॉक्यूमेंट जांचे जल्दबाजी में डील फाइनल कर लेते हैं और बाद में पछताना पड़ता है। रियल एस्टेट में फर्जी दस्तावेजों, नकली मालिकों और गैरकानूनी कब्जों की वजह से कई लोगों को करोड़ों की चपत लग चुकी है। ऐसे में जरूरी है कि आप प्रॉपर्टी खरीदने से पहले उसके सारे कागजों की सही तरीके से जांच कर लें।
इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि कौन-कौन से डॉक्यूमेंट्स प्रॉपर्टी खरीदते वक्त देखने जरूरी हैं और अगर आपने इन्हें नजरअंदाज किया तो क्या परेशानियां हो सकती हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
1. रेरा (RERA) सर्टिफिकेट: सबसे पहले इसकी जांच करें
अगर आप नई या अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो सबसे जरूरी है कि प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड हो। रेरा (Real Estate Regulatory Authority) का काम रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाना है और खरीदारों को सुरक्षा देना है। किसी भी बिल्डर या प्रोजेक्ट की जानकारी आप RERA की वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकते हैं।
अगर प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड नहीं है तो उसमें निवेश करना खतरे से खाली नहीं है।
2. सेल एग्रीमेंट (Sale Agreement): हर लाइन ध्यान से पढ़ें
यह वो दस्तावेज होता है जिसमें प्रॉपर्टी से जुड़ी सभी शर्तें लिखी होती हैं – जैसे पेमेंट कैसे होगा, कब्जा कब मिलेगा, कौन से टर्म्स लागू होंगे आदि। बहुत से लोग बिना ठीक से पढ़े इसपर साइन कर देते हैं और बाद में दिक्कत होती है। इसलिए हर लाइन पढ़िए, कोई क्लॉज समझ में न आए तो वकील से सलाह लीजिए।
अगर आप लोन से घर खरीद रहे हैं तो यह डॉक्यूमेंट बैंक के लिए भी जरूरी होता है।
3. कब्जा प्रमाणपत्र (Occupancy Certificate): असली मालिक कौन है, जानिए
यह डॉक्युमेंट बताता है कि प्रॉपर्टी पर किसका वैध कब्जा है। कई बार होता है कि प्रॉपर्टी किसी और के नाम होती है, लेकिन कब्जा किसी और का होता है। इससे जुड़ी कानूनी दिक्कतें बाद में सिरदर्द बन जाती हैं।
इसलिए कब्जा प्रमाणपत्र की जांच जरूरी है, खासकर जब आप किसी पुरानी संपत्ति को खरीद रहे हों।
4. एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate): पुराने विवादों का पता चल जाएगा
अगर आप जानना चाहते हैं कि जिस प्रॉपर्टी को आप खरीद रहे हैं उस पर कोई लोन है या नहीं, या पहले कितनी बार बेची जा चुकी है, तो एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट मंगाइए। यह दस्तावेज आपको बताएगा कि संपत्ति पर कोई कानूनी केस या बैंक का लोन तो नहीं है।
अगर यह डॉक्युमेंट साफ है तो आप निश्चिंत होकर आगे बढ़ सकते हैं।
5. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC): संबंधित विभागों से जरूरी है
अगर आप किसी सोसाइटी या बिल्डर की प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो देखें कि सभी जरूरी विभागों से NOC मिला हुआ है या नहीं। जैसे जल विभाग, बिजली विभाग, नगर निगम आदि। अगर ये क्लीयर नहीं है तो बाद में आपको पानी-बिजली के कनेक्शन लेने में दिक्कत हो सकती है।
6. पंजीकरण दस्तावेज और म्युटेशन (Registry & Mutation): असली मालिक की पुष्टि करें
जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो सबसे जरूरी है उसका रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट आपके नाम पर होना। बिना पंजीकरण के प्रॉपर्टी आपकी नहीं मानी जाती। साथ ही म्युटेशन यानि दाखिल-खारिज भी जरूरी है जिससे नगर निगम या ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में आपका नाम दर्ज हो जाए।
अगर यह प्रक्रिया अधूरी रह गई तो आप लीगल ओनर नहीं कहलाएंगे।
7. लीज या फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी की स्थिति समझें
कई बार लोग लीज होल्ड प्रॉपर्टी को फ्रीहोल्ड समझकर खरीद लेते हैं और बाद में पता चलता है कि हर साल रिन्यू कराना पड़ेगा या ट्रांसफर में मुश्किल होगी। इसलिए यह जानना जरूरी है कि प्रॉपर्टी लीजहोल्ड है या फ्रीहोल्ड। अगर लीजहोल्ड है तो उसे फ्रीहोल्ड में कन्वर्ट करवाना जरूरी हो सकता है।
8. बिल्डर की साख और पुराने प्रोजेक्ट चेक करें
अगर आप बिल्डर से प्रॉपर्टी ले रहे हैं तो उसके पुराने प्रोजेक्ट और ग्राहकों की राय जानना जरूरी है। बहुत से बिल्डर वादे तो करते हैं लेकिन समय पर कब्जा नहीं देते या क्वालिटी खराब निकलती है।
ऐसे में आप ऑनलाइन रिव्यू पढ़ सकते हैं या उनसे जुड़ी शिकायतों को रेरा वेबसाइट पर देख सकते हैं।
प्रॉपर्टी खरीदना कोई छोटी बात नहीं है। इसमें आपकी जिंदगी भर की कमाई लगती है। ऐसे में बिना डॉक्यूमेंट जांचे या जल्दबाजी में कोई फैसला लेना भारी नुकसान दे सकता है। ऊपर दिए गए दस्तावेज अगर सही पाए जाएं और सब कुछ पारदर्शी हो तो ही आगे बढ़ें। किसी भी कन्फ्यूजन की स्थिति में प्रॉपर्टी वकील से सलाह लें। इससे आपको भविष्य में कानूनी लड़ाई से बचने में मदद मिलेगी।