Income Tax – भारत में टैक्स भरने वाले लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। अब इनकम टैक्स विभाग पुराने टैक्स मामलों को मनमर्जी से दोबारा नहीं खोल पाएगा। पहले ऐसा होता था कि सालों पुराने टैक्स मामलों पर भी विभाग अचानक नोटिस भेज देता था, जिससे टैक्सपेयर्स हमेशा टेंशन में रहते थे। लेकिन अब नियम बदल गए हैं और एक तय सीमा के बाद विभाग पुराने मामले नहीं छेड़ सकेगा। इससे लाखों टैक्सपेयर्स को राहत मिली है।
दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जो खास तौर पर छोटे और मध्यम टैक्सपेयर्स के हक में है। कोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि अगर किसी टैक्सपेयर्स का मामला 3 साल से पुराना है और उस मामले में छिपाई गई आय 50 लाख रुपये से कम है, तो इनकम टैक्स विभाग उसे दोबारा नहीं खोल सकता।
हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर मामला 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा की छुपी हुई इनकम का है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को उस पर 10 साल तक जांच करने का अधिकार रहेगा। यह फैसला संतुलित है क्योंकि इससे छोटे टैक्सपेयर्स को सुरक्षा मिलती है और बड़े टैक्स चोरी के मामलों में सरकार की पकड़ बनी रहती है।
2021 में हुए टैक्स कानून में बड़े बदलाव
वित्त वर्ष 2021 में जब बजट पेश किया गया था, तब इसमें टैक्स से जुड़े कई नियमों को बदला गया था। इनमें सबसे बड़ा बदलाव यही था कि अब इनकम टैक्स रीअसेसमेंट (पुनर्मूल्यांकन) की प्रक्रिया को एक समय सीमा में बांध दिया गया।
नए नियमों के मुताबिक:
- अगर आय छुपाने का मामला 50 लाख रुपये से कम का है, तो उसे 3 साल से ज्यादा पुराना होने पर नहीं खोला जा सकता।
- लेकिन अगर इनकम छुपाने की राशि 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा है, तो 10 साल तक इन मामलों को खोला जा सकता है।
पहले इनकम टैक्स विभाग 6 साल पुराने मामलों को भी कभी भी खोल सकता था, जिससे करदाताओं में डर बना रहता था।
करदाताओं की लंबे समय से मांग
यह फैसला ऐसे समय आया है जब टैक्सपेयर्स लंबे वक्त से मांग कर रहे थे कि इनकम टैक्स विभाग बिना ठोस कारण के पुराने केस न खोले।
कई याचिकाकर्ताओं ने अदालत में कहा था कि:
- तीन साल बाद छोटे मामलों को दोबारा खोलना टैक्सपेयर्स के अधिकारों का उल्लंघन है।
- आयकर कानून की धारा 149 (a) के तहत अगर मामला गंभीर नहीं है और रकम कम है, तो उसे लंबे समय तक खींचना न्यायसंगत नहीं है।
इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने टैक्सपेयर्स के हक में निर्णय दिया।
इन बदलावों से टैक्सपेयर्स को क्या फायदा होगा?
- मानसिक तनाव से राहत:
अब टैक्सपेयर्स को हर वक्त इस डर में नहीं रहना होगा कि 6-7 साल पुराने टैक्स रिटर्न पर विभाग नोटिस भेज देगा। - पारदर्शिता बढ़ेगी:
अब विभाग को भी नियमों का पालन करना होगा और बेवजह केस नहीं खोल पाएगा। - फोकस रहेगा बड़े मामलों पर:
विभाग छोटे टैक्सपेयर्स को परेशान करने के बजाय अब गंभीर टैक्स चोरी के मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा। - लीगल सुरक्षा मजबूत:
कोर्ट के फैसले से यह भी साफ हो गया है कि बिना ठोस आधार के पुराने टैक्स केस नहीं खोले जा सकते।
कोर्ट ने ‘ट्रैवल बैक इन टाइम’ सिद्धांत को नकारा
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास पहले ऐसा अधिकार था कि वो ‘ट्रैवल बैक इन टाइम’ करते हुए कई साल पुराने मामलों में घुस जाए। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि ऐसा करना अब कानून के खिलाफ है।
इस फैसले से अब इनकम टैक्स विभाग की “जब चाहे तब केस खोल दो” वाली नीति पर ब्रेक लग गया है।
ध्यान देने वाली बातें
- अगर आपने अपना टैक्स ईमानदारी से भरा है और आपकी आय में कोई गड़बड़ी नहीं है, तो अब आपको पुराने सालों के टैक्स मामलों को लेकर डरने की जरूरत नहीं है।
- अगर मामला 50 लाख से ज्यादा का है और आपने टैक्स नहीं भरा है, तो विभाग को अब भी 10 साल तक केस खोलने का अधिकार है।
कुल मिलाकर, इन नए नियमों और कोर्ट के फैसले से टैक्सपेयर्स को एक बहुत बड़ी राहत मिली है। अब उन्हें मनमानी टैक्स जांचों और पुराने केसों के कारण होने वाले तनाव से मुक्ति मिलेगी। हालांकि, यह भी जरूरी है कि लोग ईमानदारी से टैक्स भरें ताकि भविष्य में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।