Daughter Property Rights – आज के दौर में महिलाएं शिक्षा, रोजगार और कानूनी अधिकारों के मामले में पहले से कहीं ज्यादा जागरूक हो चुकी हैं। लेकिन जब बात आती है पारिवारिक संपत्ति यानी प्रॉपर्टी में हिस्से की, तो आज भी कई बहनों को उनके अधिकार नहीं मिल पाते। बहुत सी बहनों को तो ये तक नहीं पता होता कि क्या उन्हें अपने भाई की प्रॉपर्टी में हिस्सा मिल सकता है या नहीं। चलिए, इस लेख में हम आपको आसान शब्दों में समझाते हैं कि क्या कानून कहता है, कब और कैसे बहन को भाई की संपत्ति में हक़ मिल सकता है।
पहले बेटियों को क्यों नहीं मिलता था अधिकार?
हमारे भारतीय समाज में लंबे समय तक ये मान्यता रही कि बेटियों की शादी हो जाती है और वे ‘पराया धन’ बन जाती हैं। इसलिए उन्हें मायके की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलता था। बेटों को ही परिवार का वारिस माना जाता था और बेटियों को अपने अधिकारों से दूर रखा जाता था।
लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, सोच में बदलाव आया और बेटियों को भी उनका जायज़ हक़ मिलने की बात सामने आई।
साल 2005 में आया बड़ा बदलाव
साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) में एक अहम संशोधन किया गया। इस बदलाव के बाद बेटियों को भी बेटों के बराबर हक़ मिल गया। इसका मतलब ये हुआ कि चाहे बेटी शादीशुदा हो या नहीं, वह अपने पिता की पैतृक संपत्ति में उतनी ही हिस्सेदार है जितना कि बेटा।
यह कानून हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन धर्म के लोगों पर लागू होता है। मुस्लिम और ईसाई परिवारों के लिए अलग उत्तराधिकार कानून हैं।
भाई की प्रॉपर्टी पर हक़ – किन हालात में मिलता है?
अब यहां बात आती है भाई की संपत्ति की। क्या बहन को अपने भाई की प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलता है?
इसका जवाब है – स्थिति पर निर्भर करता है।
1. अगर भाई की संपत्ति पैतृक है:
तो बहन को पूरी तरह से बराबर का हक़ मिलता है। चाहे भाई जिंदा हो या मर चुका हो, अगर संपत्ति पैतृक है (यानी दादा-परदादा से चली आ रही है), तो बहन भी बराबर की हिस्सेदार है।
2. अगर संपत्ति भाई की खुद की कमाई से है (स्वअर्जित संपत्ति):
तो ये भाई पर निर्भर करता है कि वह उस संपत्ति को किसे देना चाहता है। अगर भाई ने वसीयत नहीं बनाई और उसका निधन हो गया, तो बहन को हक़ मिल सकता है। लेकिन अगर उसने वसीयत में अपनी संपत्ति किसी और के नाम कर दी है, तो बहन को हक़ नहीं मिलेगा।
भाई की मृत्यु के बाद क्या होता है?
अगर भाई की मृत्यु हो जाती है और वह बिना वसीयत (Intestate) मरा है, तो संपत्ति उत्तराधिकार कानून के तहत बांटी जाती है। ऐसे में पहले हकदार होते हैं – पत्नी, बच्चे और माता-पिता (प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी)।
अगर ये सभी नहीं हैं, तो बहन दूसरे श्रेणी के वारिसों में आती है और उसे हक़ मिल सकता है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर भाई की कोई संतान नहीं है और माता-पिता भी नहीं हैं, तो बहन उसका हिस्सा मांग सकती है।
वसीयत (Will) है तो क्या होगा?
अगर भाई ने वसीयत लिख दी है, तो संपत्ति उसी के अनुसार बांटी जाएगी। बहन को उसका हिस्सा तभी मिलेगा जब वह वसीयत में उसका नाम हो या कोई कानूनी वजह से वसीयत को चुनौती दे सके।
बहन को क्या करना चाहिए?
- पहचानें कि संपत्ति पैतृक है या स्वअर्जित।
- भाई की मृत्यु की स्थिति में मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करें।
- पारिवारिक रजिस्टर, आधार कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज इकट्ठा करें।
- अगर वसीयत नहीं है, तो उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करें।
- संपत्ति का विवरण निकालें – जमीन, घर, बैंक बैलेंस आदि।
- किसी अच्छे वकील से परामर्श लें और कानूनी दावा दाखिल करें।
कोर्ट कब जाना पड़ता है?
अगर संपत्ति को लेकर विवाद हो जाए – जैसे कोई दूसरा रिश्तेदार दावा करने लगे या बहन का हिस्सा देने से मना कर दे – तो कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है। कोर्ट में मामला पेश करने के लिए सभी दस्तावेज और सबूत ज़रूरी होते हैं।
समाज में बदलाव की ज़रूरत
आज भी कई गांव और छोटे कस्बों में बेटियों को प्रॉपर्टी देने को बुरा माना जाता है। समाज की पुरानी सोच अब भी कहीं-कहीं हावी है। लेकिन बेटियों को अपने हक़ के लिए आवाज़ उठानी होगी।
कानून अब उनके साथ है। ज़रूरत है तो बस सही जानकारी और थोड़ी सी हिम्मत की। संपत्ति को लेकर बात करना कोई शर्म की बात नहीं है, बल्कि ये अपने हक़ की मांग करना है।
अगर आप एक बहन हैं और सोच रही हैं कि भाई की संपत्ति में आपका हिस्सा बनता है या नहीं, तो सबसे पहले जानकारी लें, दस्तावेज़ जुटाएं और सही कानूनी सलाह लें। आपका हक़ आपको तभी मिलेगा जब आप उसके लिए कदम उठाएंगी।
कानून अब बेटियों और बेटों को एक ही तराजू में तौलता है – अब समाज को भी यही करना होगा।