Saving Account – आजकल हम में से ज़्यादातर लोग बैंक के सेविंग अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं – सैलरी आने से लेकर छोटे-बड़े खर्चों तक, सब कुछ इसी अकाउंट से होता है। लेकिन अगर आप भी सेविंग अकाउंट में बड़ी मात्रा में नकद (कैश) जमा करने का सोच रहे हैं, तो एक बार रुक जाइए और ये नियम ध्यान से पढ़िए। क्योंकि ज़रा सी लापरवाही आपको इनकम टैक्स विभाग की नजरों में ला सकती है और इसके नतीजे में आपकी जमा की गई रकम पर भारी टैक्स और जुर्माना लग सकता है।
क्या कहता है नया नियम?
अगर आपने एक वित्तीय वर्ष में सेविंग अकाउंट में ₹12 लाख या उससे ज्यादा कैश जमा कर दिया और उस राशि का स्रोत (Source of Income) नहीं बता पाए, तो आयकर विभाग इसे “अघोषित आय” यानी Undisclosed Income मान लेता है। और फिर लगते हैं भारी-भरकम टैक्स:
- बेस टैक्स: 60%
- सरचार्ज: 25%
- सेस: 4%
इन सबको मिलाकर कुल टैक्स 78% तक हो सकता है। यानी मान लीजिए आपने बैंक में ₹12 लाख नकद जमा किए और स्रोत नहीं बता पाए, तो करीब ₹9.36 लाख सिर्फ टैक्स के रूप में कट सकते हैं।
कैश जमा की लिमिट क्या है?
- अगर आप ₹2.5 लाख से ज्यादा कैश जमा करते हैं, तो आपको पैन कार्ड देना जरूरी है।
- पूरे साल में ₹10 लाख से ऊपर की नकद जमा ट्रांजैक्शन पर बैंक खुद ही आयकर विभाग को रिपोर्ट करता है।
- अगर राशि ₹12 लाख या उससे अधिक है और उसका स्रोत स्पष्ट नहीं है, तो विभाग नोटिस भेज सकता है।
क्यों लाया गया ये सख्त नियम?
दरअसल, सरकार ब्लैक मनी (काले धन) को रोकने के लिए इन नियमों को लागू कर रही है। नकद लेनदेन से काला धन बढ़ता है और टैक्स चोरी होती है। इसलिए आयकर विभाग अब हर उस व्यक्ति पर नजर रख रहा है जो बड़ी नकद रकम सेविंग अकाउंट में डाल रहा है।
कैसे करें बचाव?
अगर आप अपनी मेहनत की कमाई बैंक में डालना चाहते हैं और नहीं चाहते कि उस पर कोई टैक्स या पेनल्टी लगे, तो इन बातों का ध्यान रखें:
- हर लेन-देन का रिकॉर्ड रखें: अगर आपने पैसे किसी प्रॉपर्टी की बिक्री से, व्यापार से या किसी और वैध माध्यम से कमाए हैं, तो उसका प्रूफ रखें।
- टैक्स रिटर्न भरें: समय पर ITR (इनकम टैक्स रिटर्न) फाइल करें और उस कैश इनकम को उसमें दिखाएं।
- बैंक को सही जानकारी दें: अगर बैंक ने आपसे किसी ट्रांजैक्शन पर सवाल पूछा है, तो उसे ईमानदारी से जवाब दें।
- नकद से बचें: जितना हो सके, कैश की जगह डिजिटल ट्रांजैक्शन करें ताकि उसका रिकार्ड बना रहे।
गलती से भी न करें ये काम
- पुराना कैश जमा करना: बहुत से लोग अपने घर में जमा पुराने कैश को बैंक में एक साथ डाल देते हैं, ये खतरनाक हो सकता है।
- बिना इनकम प्रूफ के बड़ी रकम जमा करना: जैसे ही आप ऐसा करते हैं, आप इनकम टैक्स विभाग की रडार पर आ जाते हैं।
- जानकारी छुपाना: अगर आपको विभाग से कोई नोटिस आता है और आप सही जवाब नहीं देते, तो सीधा जुर्माना और कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
एक केस स्टडी से समझिए
रमेश एक किराना दुकान चलाता है। उसके पास महीने का औसत कैश इनहैंड ₹1 लाख है। साल के अंत में उसने ₹15 लाख सेविंग अकाउंट में जमा कर दिए, लेकिन उसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा। आयकर विभाग ने नोटिस भेजा और जवाब न देने पर ₹11.70 लाख का टैक्स काट लिया।
बचाव का तरीका – टिप्स
- हर महीने की कमाई का हिसाब रखें।
- नकद लेन-देन की रसीद या सेल स्लिप सेव करें।
- अपने अकाउंटेंट या सीए से सलाह लेकर ही बड़ी रकम जमा करें।
- अगर कैश जमा कर ही रहे हैं, तो साथ में उसका आयकर रिटर्न में उल्लेख जरूर करें।
क्या सिर्फ सेविंग अकाउंट पर ही ये नियम लागू है?
नहीं, ये नियम करंट अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, पीपीएफ, और यहां तक कि क्रेडिट कार्ड पेमेंट्स पर भी लागू होते हैं। मतलब अगर आपने सालभर में किसी एक अकाउंट या कार्ड में ₹10 लाख से ज्यादा का ट्रांजैक्शन किया, तो विभाग को रिपोर्ट जाएगी।
अगर आप अपने सेविंग अकाउंट में कोई बड़ी राशि जमा करने की सोच रहे हैं, तो पहले उसकी तैयारी कर लें। पैसा वैध है तो कोई डर नहीं, लेकिन सबूत न हो तो नुकसान तय है। सरकार का मकसद टैक्स चोरी को रोकना है, इसलिए बेहतर होगा कि हम ईमानदारी से कमाई दिखाएं और रूल फॉलो करें।