Traffic Challan Rules – गर्मी का मौसम आते ही लोग अपनी कार को सूरज की तेज़ किरणों से बचाने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं। उनमें से एक सबसे आम तरीका है — टिंटेड ग्लास लगवाना। यानी कार के शीशों पर गहरा रंग या फिल्म चिपका देना ताकि अंदर की गर्मी कम हो जाए और एसी पर ज्यादा लोड न पड़े। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही सुविधा आपको भारी चालान के रूप में नुकसान पहुंचा सकती है?
आज हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे कि टिंटेड ग्लास को लेकर सरकार ने क्या नियम बनाए हैं, किस स्थिति में चालान कट सकता है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए।
टिंटेड ग्लास क्या होता है?
टिंटेड ग्लास यानी ऐसा कांच या उस पर चढ़ाई गई एक खास किस्म की पतली फिल्म, जो धूप को अंदर आने से रोकती है। यह कार के अंदर के तापमान को कंट्रोल करने में मदद करता है और साथ ही यात्रियों को थोड़ी प्राइवेसी भी मिलती है। लेकिन ये सुविधा अब ट्रैफिक नियमों की नजर में खतरे की घंटी बन चुकी है।
गर्मी में टिंटेड ग्लास क्यों पसंद किया जाता है?
- तेज़ धूप से राहत – सूरज की किरणें सीधी कार में न घुसें, इसके लिए लोग टिंटेड ग्लास लगवाते हैं।
- एसी पर दबाव कम होता है – अंदर का तापमान कम होने से एसी जल्दी ठंडक देता है।
- कार की सीट और इंटीरियर की सुरक्षा – तेज़ धूप से डैशबोर्ड और सीटें जल्दी खराब नहीं होतीं।
- थोड़ी प्राइवेसी मिलती है – बाहर से देखने पर अंदर का दृश्य साफ़ नहीं दिखाई देता।
लेकिन सरकार ने इस पर क्यों लगाया बैन?
अब यहां सबसे अहम सवाल ये है कि जब टिंटेड ग्लास के इतने फायदे हैं, तो फिर सरकार ने इसे बैन क्यों किया? असल में कई आपराधिक घटनाओं में ये देखा गया कि अपराधी ऐसी गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे जिनके शीशों से अंदर कुछ भी नजर नहीं आता था। ऐसे मामलों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में फैसला सुनाया कि तय लिमिट से ज्यादा टिंटेड ग्लास गैरकानूनी माना जाएगा।
टिंटेड ग्लास पर क्या कहता है कानून?
भारत में मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 177 और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार:
- फ्रंट और रियर विंडशील्ड – कम से कम 70% विज़िबिलिटी होनी चाहिए।
- साइड विंडोज़ – कम से कम 50% विज़िबिलिटी अनिवार्य है।
यानी आप शीशों पर हल्की फिल्म लगवा सकते हैं, लेकिन वह इतनी पारदर्शी होनी चाहिए कि नियमों का उल्लंघन न हो।
अगर नियम तोड़े तो कितना चालान कटेगा?
- पहली बार पकड़ में आने पर: ₹500 का जुर्माना लग सकता है।
- दोबारा गलती पर: ₹1500 तक का चालान भरना पड़ सकता है।
- कई बार पुलिस फिल्म को वहीं पर उतरवा भी देती है और कार मालिक को चेतावनी देती है।
चालान से कैसे बचें?
- सर्टिफाइड टिंटेड फिल्म लगवाएं – बाज़ार में अब ऐसी फिल्में उपलब्ध हैं जो सरकारी गाइडलाइन के हिसाब से बनी होती हैं।
- फिल्म लगवाने से पहले विजिबिलिटी जांच लें – दुकान वाले की बातों में न आएं, खुद सुनिश्चित करें कि पारदर्शिता सही है।
- कार में कोई एक्स्ट्रा ब्लाइंड या पर्दा न लगाएं – इससे भी चालान कट सकता है।
- अक्सर चेकिंग वाले रूट पर चलते हैं? – तो सबसे अच्छा उपाय है कि आप फिल्म न लगवाएं या केवल कंपनी द्वारा दिए गए शेड्स तक ही सीमित रहें।
पुराने गाड़ियों में ज्यादा रिस्क
जिन गाड़ियों में पहले से गहरे रंग के शीशे लगे होते हैं, उनके लिए दोहरी मुसीबत है। एक तो पुराने शीशे पहले से डार्क होते हैं, ऊपर से अगर और फिल्म चढ़ाई गई हो, तो विजिबिलिटी बहुत कम हो जाती है। ऐसे मामलों में बिना चेतावनी के सीधे चालान कटने का खतरा रहता है।
क्या हर जगह होता है चालान?
हर राज्य और शहर में ट्रैफिक पुलिस का सख्ती से पालन अलग-अलग होता है। बड़े मेट्रो शहरों में जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे वगैरह में पुलिस ज्यादा अलर्ट रहती है और वहां चालान की संभावना ज्यादा रहती है। जबकि छोटे शहरों में कुछ जगहों पर पुलिस उतनी सख्त नहीं होती, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि नियम वहां लागू नहीं हैं।
गर्मी से बचाव करना जरूरी है लेकिन नियमों की अनदेखी करके नहीं। टिंटेड ग्लास लगवाने से पहले अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लें कि जो फिल्म आप लगवा रहे हैं, वो कानूनी है या नहीं। अगर आप सरकारी नियमों का पालन करते हैं, तो न केवल आप चालान से बचेंगे बल्कि सुरक्षित भी रहेंगे।
आज के समय में ट्रैफिक नियमों का पालन करना सिर्फ जुर्माने से बचने के लिए नहीं, बल्कि खुद की और दूसरों की सुरक्षा के लिए भी ज़रूरी है। इसलिए अगली बार अगर आप कार की टिंटेड फिल्म के बारे में सोचें, तो नियमों को जरूर ध्यान में रखें।