Cheque Bounce Rules – अगर आपने कभी किसी को चेक दिया हो और वो बाउंस हो गया हो, तो आप जानते होंगे कि इसके बाद क्या होता है – नोटिस, केस, कोर्ट और काफी झंझट। पर अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेक बाउंस से जुड़े मामलों में एक ऐसा फैसला सुनाया है, जो हजारों लोगों के लिए राहत की खबर लेकर आया है। अब ईमेल या व्हाट्सएप से भेजा गया नोटिस भी पूरी तरह वैध माना जाएगा। यानी अब कागजी नोटिस भेजने का झंझट नहीं, डिजिटल नोटिस भी चलेगा।
क्या है मामला और क्यों है ये फैसला खास
दरअसल, जब कोई चेक बाउंस होता है तो सबसे पहली कानूनी प्रक्रिया होती है – नोटिस भेजना। यह नोटिस चेक जारी करने वाले को भेजा जाता है ताकि उसे बकाया रकम चुकाने का एक आखिरी मौका दिया जा सके। अब तक अधिकतर लोग मानते थे कि सिर्फ रजिस्टर्ड पोस्ट या स्पीड पोस्ट से भेजा गया नोटिस ही वैध होता है। डिजिटल माध्यम जैसे ईमेल या व्हाट्सएप पर भेजा नोटिस कानूनी रूप से मान्य नहीं माना जाता था।
लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस भ्रम को पूरी तरह खत्म कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर नोटिस व्हाट्सएप या ईमेल से भेजा गया है और भेजने वाले के पास उसका सबूत है, तो वह नोटिस भी नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत पूरी तरह से मान्य होगा।
क्या कहा कोर्ट ने – आसान शब्दों में समझिए
- नोटिस का माध्यम मायने नहीं रखता: कोर्ट ने कहा कि नोटिस किस फॉर्मेट में है – टाइप किया हुआ है या हाथ से लिखा गया है, यह जरूरी नहीं है। भेजने का तरीका – डाक से हो या ईमेल/व्हाट्सएप से – ये सब माध्यम अब मान्य हैं।
- आईटी एक्ट का सहारा: कोर्ट ने IT Act की धारा 13 का हवाला देते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजा गया कोई भी संदेश अगर लिखित रूप में है और भेजने वाले के पास सबूत है कि वह प्राप्तकर्ता तक पहुंचा है, तो वह वैध माना जाएगा।
- एविडेंस एक्ट की भी अहम भूमिका: इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 65B भी इस फैसले में काम आई है। इस धारा के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (जैसे ईमेल, व्हाट्सएप मैसेज आदि) को कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है।
अब क्या होगा फायदा?
- अब नोटिस भेजने में समय और पैसा दोनों की बचत होगी। रजिस्टर्ड पोस्ट की झंझट नहीं।
- चेक बाउंस के मामलों में कानूनी प्रक्रिया और तेज हो सकेगी।
- छोटे व्यापारियों, नौकरीपेशा लोगों और आम जनता को राहत मिलेगी क्योंकि अब बिना किसी वकील के भी वे ईमेल या व्हाट्सएप से नोटिस भेज सकते हैं।
कुछ जरूरी बातें जो ध्यान में रखें:
- व्हाट्सएप/ईमेल से नोटिस भेजते समय स्क्रीनशॉट, डिलीवरी स्टेटस और रीड रिपोर्ट का सबूत जरूर रखें।
- यदि संभव हो तो एक साथ रजिस्टर्ड पोस्ट और ईमेल/व्हाट्सएप दोनों से नोटिस भेजें ताकि आपके पास डबल एविडेंस हो।
- नोटिस में तारीख, रकम, चेक नंबर, बैंक डिटेल्स और बाउंस होने की वजह साफ-साफ लिखें।
- नोटिस भेजने के बाद 15 दिनों का समय दें, उसके बाद ही केस फाइल करें।
फैसले के बाद कोर्ट ने क्या निर्देश दिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस फैसले के बाद यूपी के सभी न्यायाधीशों को निर्देश दिया है कि वे अब चेक बाउंस से जुड़े मामलों में इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को भी गंभीरता से स्वीकार करें। साथ ही यह भी कहा गया है कि कोर्ट में दर्ज की गई शिकायतों का पूरा रिकॉर्ड रखा जाए और यदि नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजा गया है, तो उसकी भी पुष्टि की जाए।
इस फैसले से यह साफ हो गया है कि अब देश में डिजिटल तरीकों को कानूनी रूप से बराबरी का दर्जा मिल रहा है। ईमेल और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म अब केवल मैसेज भेजने के जरिया नहीं, बल्कि कानूनन मान्य माध्यम भी बन चुके हैं। चेक बाउंस जैसे मामलों में जहां पहले नोटिस भेजना ही एक बड़ा टास्क लगता था, अब वो एक मिनट में मोबाइल से भी किया जा सकता है।
यह फैसला उन सभी लोगों के लिए बेहद काम का है जो छोटे-मोटे लेन-देन करते हैं, बिजनेस चलाते हैं या किसी को उधार चेक पर पैसे देते हैं। अब उन्हें अपनी रकम वसूलने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया का डर नहीं रहेगा।