8th Pay Commission News – अगर आप भी रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं और उम्मीद लगाए बैठे हैं कि 8वें वेतन आयोग लागू होगा और आपकी पेंशन बढ़ेगी, तो ये खबर आपको थोड़ा परेशान कर सकती है। सरकार ने वित्त अधिनियम 2025 में कुछ ऐसे प्रावधान कर दिए हैं जो लाखों पेंशनर्स के लिए झटका साबित हो सकते हैं। अब पेंशन में बढ़ोतरी और DA के लाभ हर रिटायर्ड कर्मचारी को नहीं मिलेंगे — बल्कि ये पूरी तरह सरकार की मर्जी पर निर्भर करेगा।
क्या कहता है नया नियम?
वित्त अधिनियम 2025 के मुताबिक अब सरकार चाहे तो रिटायर हो चुके कर्मचारियों को महंगाई भत्ते (DA) की बढ़ोतरी और 8वें वेतन आयोग के फायदे न दे। ये अब सरकार के “विवेकाधिकार” में आता है, यानी पेंशनर्स के लिए ये गारंटी नहीं रही कि हर बार उन्हें बढ़ा हुआ DA मिलेगा या वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ मिलेगा। सबसे चिंता की बात ये है कि अब पेंशनर्स कोर्ट में जाकर इस फैसले को चुनौती भी नहीं दे सकेंगे।
अब पेंशनर्स की किस्मत सरकार के हाथ में
पहले की व्यवस्था में जब भी DA बढ़ता था या कोई नया वेतन आयोग आता था, तो उसका फायदा पेंशनर्स को भी मिलता था। लेकिन नए कानून के मुताबिक सरकार जब चाहे तब बदलाव कर सकती है — और ये बदलाव किस तारीख से लागू होगा, वो भी सरकार ही तय करेगी। यानी अगर सरकार कोई लाभ दे भी दे, तो वो बकाया (arrears) नहीं मिलेगा। सीधे शब्दों में कहें तो सरकार कह सकती है कि “आज से लागू” और पिछली तारीख से कोई फायदा नहीं।
क्या अब 1972 का पेंशन अधिनियम नहीं चलेगा?
अभी तक सरकारी पेंशनर्स को 1972 के पेंशन अधिनियम के तहत लाभ मिलते थे, लेकिन नया कानून इस अधिनियम को पीछे छोड़ता दिख रहा है। अब जो भी सुविधा मिलेगी वो सरकार की मर्जी से मिलेगी, न कि कानूनी अधिकार के तहत। इससे पेंशनर्स के लिए स्थिति और भी जटिल हो सकती है क्योंकि नियम सबके लिए एक जैसे नहीं रहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल?
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ये साफ कहा था कि रिटायर हुए कर्मचारियों को समान लाभ मिलना चाहिए — चाहे वो किसी भी तारीख को रिटायर हुए हों। कोर्ट ने यह भी कहा था कि पेंशन अंतिम वेतन का 50% होना चाहिए। लेकिन नया वित्त अधिनियम इन बातों के खिलाफ जा रहा है। कई लीगल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ये कानून कोर्ट के फैसले की भावना के विपरीत है, और इससे न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है।
पेंशनर्स यूनियनों की तीखी प्रतिक्रिया
जैसे ही ये खबर सामने आई, देशभर में पेंशनर्स यूनियनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना है कि यह फैसला उन लोगों के साथ अन्याय है जिन्होंने जिंदगीभर देश की सेवा की और अब उन्हें उनके वाजिब हक से वंचित किया जा रहा है। कई संगठनों ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
आगे क्या हो सकता है?
अब पेंशनर्स के सामने एक ही रास्ता है – एकजुट होकर आवाज उठाना। उन्हें कानूनी विकल्पों को खंगालना होगा, RTI डालनी होगी, सांसदों और नेताओं से संपर्क करना होगा और जनमत बनाकर दबाव बनाना होगा। हो सकता है कि मिलकर आवाज उठाने से सरकार को अपने फैसले पर दोबारा विचार करना पड़े।
Disclaimer
यह लेख सिर्फ आपकी जानकारी के लिए है। पेंशन और वेतन आयोग से जुड़े नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं। किसी कानूनी कदम या वित्तीय निर्णय से पहले किसी विशेषज्ञ या वकील से सलाह लेना हमेशा सही रहेगा।